(अशोक कुमार मिश्रा मेंटर में आप का स्वागत और अभिनन्दन है , आप का योगदान अमूलय है mo 91-9415393600

मंगलवार, 14 जून 2022

जीवन में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है

     


जीवन में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है। लेकिन सफलता भी कुछ मांगती है : 

• अपने आप पर, ईश्वर पर और अपने काम पर पूर्ण विश्वास रखें। 

• समय के का सही प्रबंधन करें। आज-कल पर टालमटोल न करें। 

• अपनी जिम्मेदारी का एहसास करें जो एक प्रेरणा बनेगा। जिम्मेदारी और एहसास में पूर्ण तालमेल बैठाएं। 

• अपने लक्ष्य, सपना,काम को लेकर हमेशा दृढ़ रहें। उसके प्रति पूर्ण समर्पित होकर पूरे उत्साह से करते चलें। 

• काम करने का सही तरीका अपनाएं और उसके प्रति जुनून रखें। साथ साथ, धैर्य रखने की काबिलियत को बढ़ाएं। • सिर्फ़ दूसरों की नकल न करें। थोड़ा हट के अलग करने सोचें और करें। 

• संघर्ष करने की हिम्मत रखें और बिना किसी बहाने या आलस्य का मेहनत करने से कभी पीछे न हटें। 

• विपरीत परिस्थितियों में भी पॉजिटिव और खुश रहने की आदत डालें। ये आदत एक दीपक की तरह अंधेरे में भी  रास्ता दिखाने का काम करेगा। 

• असफलता से न घबरायें। गलतियों से ही अनुभव का निर्माण होता हैं। 

• गलत और नकारात्मक लोगों से दूर रहें। बुरी आदतों का त्याग तुरंत कर दें।

बुधवार, 27 अप्रैल 2022

आज समझते हैं कि केसर क्या है?

 *खुशखबरी* - आज से लगातार 21 दिन तक सिर्फ केसर पर चर्चा का हिस्सा आपको भी बनाऊंगा। मुझे पूरा यक़ीन है कि 21 दिन पूरा होते होते, आप मेरे द्वारा केसर का आनंद ले चुके होंगे। कुसी भी तरह की जानकारी के लिए मेरे मोबाइल नम्बर पर कॉल/व्हाट्सअप करें - 9415393600

आइये, आज समझते हैं कि केसर क्या है? 

*केसर का रंग रूप आकार* 

★ केसर का पौधा छोटे आकार का होता है। केसर का उपयोग विभिन्न औषधियों और खाद्य पदार्थों में किया जाता है। केसर दुनिया के महंगे मसालों में से एक है, इसी वजह से इसे 'रेड गोल्‍ड' (लाल सोना) के नाम से भी जाना जाता है। केसर का पौधा कई सालों तक जीवित रहता है। केशर के पत्ते-घास के समान लम्बे, पतले, पनालीदार और जड़ ही से निकले हुए मूलपत्र (Radical leaf) रहते हैं। इनके किनारे पीछे की तरफ मुड़े हुए हैं। केसर के फूल नीले, बैंगनी, लाल-नारंगी रंग के होते हैं। फूल के स्त्रीकेशर के सूखे हुए आगे वाले भाग (stigma) को केशर (saffron) कहते हैं। आश्विन कार्तिक यानी सितम्बर-अक्टूबर में इस पर फूल आते हैं। फूल-एकाकी या गुच्छों में, नीललोहित वर्ण के, पत्तों के साथ ही शरदऋतु में आते हैं। केशर में नीचे के पत्रकोश (Spathe), पुष्पध्वज (Scape) को घेरे रहते हैं तथा दो हिस्सों में विभक्त रहते हैं। केशर की जड़ प्याज की तरह होती है । केशर का बहुवर्षायु क्षुप 45 से.मी. तक ऊँचा होता है। जड़ के नीचे प्याज के समान गाँठदार कन्द (Corm) होता है। इसमें कांड नहीं होता है। केसर एक लोकप्रिय मसाला है, जिसे क्रोकस सैटाइवस नाम के फूल से निकाला जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम क्रोकस सैटाइवस है और इसका इस्तेमाल एक मसाले और कलर एजेंट के रूप में किया जाता है। यह दिखने में छोटे-छोटे धागों जैसा होता है।

*केसर की खेती* 

★ अपने देश (भारत) के काश्मीर में पम्पूर तथा जम्मू के किश्तवाड़ में इसकी खेती की जाती है। यहाँ का उत्पन्न हुआ केसर भावप्रकाशकार की दृष्टि से सर्वोत्तम समझा गया है। केसर की सिर्फ 450 ग्राम मात्रा बनाने के लिए क़रीब 75 हज़ार फूल लगते हैं। 

*केसर के विभिन्न प्रकार* 

आयुर्वेद में केसर के तीन प्रकार बताए गए हैं। सभी के गुण भिन्न-भिन्न होते हैं। 

★ *काश्मीरज केसर -* कश्मीरी केसर लाल रंग का होता है। यह केसर सूक्ष्म तन्तुओं से युक्त होता है। यह कमल जैसे गन्ध वाला होता है। केसर की तीनों श्रेणियों में यह उत्तम श्रेणी का माना जाता है। 

★ *बाल्हीकज केसर* - यह बलख-बुखारा देश का केसर है। यह सूक्ष्म तन्तुयुक्त और पाले रंग का होता है। इसका गन्ध मधु जैसा होता है। यह केसर कश्मीरी केसर के कम गुणी वाला माना गया है। 

★ *पारसीकज-पारस केसर* - यह ईरान देश का केसर है। यह स्थूल तन्तुयुक्त, हल्का पीले रंग का और मधु जैसे गन्ध वाला होता है। इस केसर को भी कश्मीरी केसर से कम गुणी वाला बताया गया है। 

*केसर का वजूद* 

★ द्रव्यगुण विज्ञान, भावप्रकाश तथा आयुर्वेदिक निघण्टु आदि पुराने ग्रन्थों में केशर के बारे में बहुत विस्तार से लिखा हुआ है। निघण्टु श्लोकनुसार - "कुङ्कुमम्-कुक्यते, आदीयते, 'कुक् आदाने"। अर्थात - केशर का इस्तेमाल शिरःशूल आदि में लाखों वर्षों से प्रयोग किया जा रहा है। केशर तेरे नाम - संस्कृत में कुमकुम। हिंदी मराठी, गुजराती में केशर। बंगाली में जाफरान। कन्नड़ में कुङ्कुम । तेलगु में कुङ्कुमपुव। तमिल में कुङ्कुमपु। फारसी में करकीमास। अंग्रेजी में Saffron (सफ्रॉन)। अरबी में जाफरान। 

*केसर के तमाम फायदे* 

★ केसर को सालों तक स्टोर कर सकते हैं, ये कभी खराब नहीं होती है। ये आपकी सेहत के लिए बहुत अच्छा है। केसर के फायदे महिलाओं से लेकर पुरुष व बच्चों से लेकर बुजुर्ग, सभी को मिलते हैं। केसर की गिनती दुनिया के सबसे महंगे मसालों में की जाती है। इसका आकर्षक रंग और खुशबू इसे सबसे अलग बनाने का काम करते हैं। इसका इस्तेमाल दूध या दूध से बने पकवानों में ज्यादा किया जाता है। आपको जानकर हैरान होगी कि केसर अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। केसर किसी भी बीमारी का इलाज नहीं है। इसका सेवन समस्या से बचाव व उसके लक्षणों को कम करने के लिए किया जा सकता है। 

★ केसर का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में कई प्रकार से किया जाता रहा है। इससे जुड़े शोध के अनुसार, केसर में एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाला), एंटीअल्जाइमर, एंटीकॉनवल्सेन्ट (मिर्गी के दौरे को रोकने वाला) और एंटीऑक्सीडेंट (फ्री रेडिकल्स को दूर करने वाला) जैसे गुण पाए जाते हैं। 

★ इसके अलावा, केसर का उपयोग बलगम निकालने, भूख बढ़ाने, मेंसुरेशन फ्लो को बढ़ाने, अच्छे हाजमे और मसूड़ों की समस्या को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। यह कई तरह के खास पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसमें फाइबर, मैंगनीज, विटामिन-सी, पोटेशियम, आयरन, प्रोटीन, और विटामिन-ए जैसे जरूरी तत्व शामिल हैं। 

★ केसर में पाए जाने वाले गुण और पोषक तत्व इसे सेहत के लिए फायदेमंद बनाते हैं। केसर एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जो शरीर को विभिन्न रूपों में फायदा पहुंचा सकता है। इसका इस्तेमाल आतंरिक स्वास्थ्य से लेकर त्वचा व बालों के लिए किया जा सकता है। 

*केसर की तासीर & रसायन* 

★ केसर खाने में कड़वा होता है, लेकिन खुशबू के कारण विभिन्न व्यंजनों एवं पकवानों में डाला जाता है। इसका उपयोग मक्खन आदि खाद्य द्रव्यों में वर्ण एवं स्वाद लाने के लिये किया जाता हैं। गर्म पानी में डालने पर यह गहरा पीला रंग देता है। यह रंग कैरेटिनॉयड वर्णक की वजह से होता है। यह घुलनशील होता है, साथ ही अत्यंत पीला भी। प्रमुख वर्णको में कैरोटिन, लाइकोपिन, जियाजैंथिन, क्रोसिन, पिकेक्रोसिन आदि पाए जाते हैं। इसमें ईस्टर कीटोन एवं वाष्पशील सुगंध तेल भी कुछ मात्रा में मिलते हैं। 

★ अन्य रासायनिक यौगिकों में तारपीन एल्डिहाइड एवं तारपीन एल्कोहल भी पाए जाते हैं। इन रासायनिक एवं कार्बनिक यौगिकों की उपस्थिति केसर को अनमोल औषधि बनाती है। केसर की रासायनिक बनावट का विश्लेषण करने पर पता चला हैं कि इसमें तेल 1.37 प्रतिशत, आर्द्रता 12 प्रतिशत, पिक्रोसीन नामक तिक्त द्रव्य, शर्करा, मोम, प्रटीन, भस्म और तीन रंग द्रव्य पाएं जाते हैं। अनेक खाद्य पदार्थो में केसर का उपयोग रंजन पदार्थ के रूप में किया जाता है।

*आपका अपना : ए. के. मिश्र* 

• लाइफ कोच, स्वास्थ्य सलाहकार, प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ, प्राणिक हीलर 

• प्रोडक्ट ट्रेनर, मोटिवेशनल मेंटर (जेस्टिमा वेलनेस) 

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

स्वर्ग का सुख : माँ-बाप के चरणों में

  *स्वर्ग का सुख : माँ-बाप के चरणों में* 


 एक आदमी अपने माँ-बाप को भिन्न-भिन्न तरह से बहुत प्रताड़ित करता रहता था। इस कुकृत्य में उसकी पत्नी भी उसका खूब साथ निभाती थी। हमेशा बेचारे सीधे-साधे माँ-बाप की आत्मा बहुत दुःखी रहती थी। जब भी वो अपने बेटे-वहू को कुछ भी समझाने सिखाने की बात करते, उन्हें उल्टे मुँह की खानी पड़ती थी और तमाम तरह की बेइज्जती सहनी पड़ती थी। यहाँ तक कि एक दिन बेटे-बहू दोनों मिलकर माँ-बाप को ही उनके घर से निकाल दिये। माँ-बाप रोते रहे, गिड़गिड़ाते रहे, यहाँ तक कि उल्टे माफ़ी मांगते रहे लेकिन बेटे-बहू एक नहीं सुने। माँ-बाप शर्म के मारे किसी को कुछ नहीं कहे और दूर दराज़ एक मंदिर में जाकर शरण ले लिये। खैर, समय बीतता गया। ईश्वर ने उसके माँ-बाप को उसी शहर में एक आलीशान व्यवस्था बना दी, जहाँ वो दोनों खुशी से रहने लगे। जब भी माँ-बाप को दिल में हूक सी उठती थी, वो परेशान हो उठते थे और अपने बेटे-बहू को फ़ोन कर बैठते थे। उधर बेटा-बहू या तो फ़ोन उठाते नहीं थे और कभी उठाते थे तो अनाप शनाप कुछ ऐसा बोल देते थे कि बूढ़े माँ-बाप का दिल और दुःख जाता था।

इधर वो दोनों बेटा-बहू बहुत बीमार रहने लगे। दोनों हॉस्पिटल से वापस हो रहे थे की उसकी पापीन बहू की सड़क दुर्घटना में अकाल मृत्यु हो गयी। पापी बेटा भी मरते मरते बचा। लेकिन उसका ज़ख्म बहुत ही ज्यादा गहरा था जिससे वो बहुत पीड़ा भोग रहा था। वहाँ काफी संख्या में लोग इकट्ठे हो गये थे। उसी भीड़ में एक महापुरूष भी थे। लोगों ने महापुरूष से पूछा कि इसका पीड़ा देखा नहीं जा रहा है। इसलिए, कृपया आप इसका कोई उपाय बतायेँ जिससे यह पीड़ा से मुक्त होकर अपना प्राण त्याग दे और ज्यादा पीड़ा न भोगे। 

उस महापुरूष ने बताया कि अगर स्वर्ग की मिट्टी लाकर इसको तिलक किया जाये तो ये पीड़ा से मुक्त हो जायेगा। ये सुनकर सभी चुप हो गये और सोचने लगे कि "स्वर्ग कि मिट्टी" कहाँ से और कैसे लाया जाय, ये तो बिल्कुल ही नामुमकिन है? महापुरुष की बात सुनकर एक छोटा सा बच्चा दौड़ा-दौड़ा गया और थोड़ी देर बाद एक मुठ्ठी मिट्टी लेकर आया और बोला - "ये लीजिये, स्वर्ग की मिट्टी। इस मिट्टी से तिलक कर दीजिये, इनकी पीड़ा कम हो जाएगी।" बच्चे द्वारा लाये गये मिट्टी से दर्द से कराहते हुए उस आदमी को जैसे ही तिलक किया गया, कुछ ही क्षण में वो आदमी पीड़ा से एकदम मुक्त हो गया। ये चमत्कार देखकर सब हैरान थे, क्योंकि स्वर्ग की मिट्टी भला ये छोटा सा बच्चा कैसे ला सकता है? ऐसा हो ही नहीं सकता है।

महापुरूष ने बच्चे से पूछा - "बेटा, ये मिट्टी तुम कहाँ से लेकर आये हो? पृथ्वी लोक पर स्वर्ग कहाँ है, जहाँ से तुम कुछ ही पल में ये मिट्टी ले आये हो"? लड़का बोला - "बाबाजी, इस धरती पर माँ-बाप के चरणों में ही सबसे बड़ा स्वर्ग होता है। उनके चरणों की धूल से बढ़कर धरती पर दूसरा कोई स्वर्ग नहीं है। इसलिये मैं ये मिट्टी अपनी माँ-बाप के चरणों के नीचे से लेकर आया हूँ।" 

बच्चे के मुँह से ये बात सुनकर महापुरूष बोले - "बिल्कुल सही, माँ-बाप के चरणों से बढ़कर इस धरती पर दूसरा कोई स्वर्ग नहीँ है। कोई चाहे कितनी भी तरक्की कर ले, कितना भी रूपया-पैसा, धन-संपत्ति जमा कर ले, खूब पद-प्रतिष्ठा पा ले, आसमान की उच्चाईयोँ को छू ले, लेकिन जब तक माँ-बाप खुश नहीं हैं तब तक सबकुछ निरर्थक है। यहाँ तक कि ऐसे लोगों से भगवान भी खुश नहीं होते हैं और कोई भी दान, पुण्य, तीर्थ करने का फल नहीं मिलता है। जिस औलाद की वजह से माँ-बाप की आँखो में आँसू आये, ऐसी औलाद को इस धरती पर ही नरक का भोग भोगना पड़ता है।" 

छोटे बच्चे और महापुरुष की सारी बातें पापी बेटा सुन रहा था। उसके चेहरे पर आत्मग्लानि झलक रही थी, दोनों आँखों से लगातार आँसू बह रहा था और दोनों होंठ कांप रहे थे। वो अपने दोनों हाथों से अपने सर को जोर से पकड़े हुए था। बेटे ने मन ही मन सोचा कि कल माँ-बाप से क्षमा मांगेगा और अब खुद वहीं उनके साथ ही जीवन बितायेगा। दूसरे दिन शाम को बेटा मुँह लटकाए हुए अपने माँ-बाप से मिलने गया। डरते-डरते आहिस्ते से दरवाजा पर दस्तक दिया। अंदर से एक अधेड़ उम्र का आदमी आया और पूछा - "आप कौन"। पूछने पर पता चला कि वो बूढ़े इसके माँ-बाप थे। अधेड़ उम्र का आदमी घर के अंदर गया और "एक चुटकी भभूत" लेकर बाहर आया और बेटे के सर पर लगा दिया। बेटे ने पूछा - "ये कहाँ का भभूत है? मेरे माँ-बाप कहाँ हैं?" अधेड़ उम्र के आदमी ने कहा - "कल रात में क़रीब 9 बजे बूढ़ी माताजी को अचानक बड़े जोर से सीने में दर्द हुआ और तुरंत उनका देहांत हो गया। ठीक उसके आधा घंटा के बाद ही बूढ़े बाबा चक्कर खाकर गिर गए और उनका देहांत हो गया। आज सुबह उनका दाह संस्कार हुआ है, जिसका ये भभूत है। वो दोनों मुझे बोल गए थे कि मेरे बेटा-बहू बहुत ही समझदार है, अभी वो नाराज़ है। अगर मेरी मौत हो जाये और उसके बाद मेरा बेटा-बहू आये तो उनको मेरे आशीर्वाद स्वरूप मेरे अस्थि राख का तिलक लगा देना और मेरे तरफ से बोल देना - 'सदा सुखी रहो'..........।"                                      अशोक कुमार मिश्रा 

बुधवार, 6 अप्रैल 2022

पसंद आपकी ? आपके पास दो विकल्प हैं।

★ ( *1 : पहला*) - शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक, आध्यात्मिक उन्नति के लिए, आप समाज में लोगों के बीच निःस्वार्थ भाव से सकारात्मक विचारों का प्रचार कर सकते हैं। दुनिया में अधिक से अधिक प्यार का  संदेश दे सकते हैं और भाईचारा - इंसानियत की भावना को बढ़ा सकते हैं। मानता हूँ कि पैसा बहुत आवश्यक है, परन्तु इतना भी आवश्यक नहीं है कि कुछ काम इसके बिना न किया जा सके। सकारात्मकता से भरी आपकी छोटी सी प्रेरणा (संदेश) भी समाज में एक बेहतरीन  उदाहरण बनके दशा दिशा को सुधार सकती है। अनगिनत दुर्भाग्यपूर्ण लोगों की नकारात्मक नियति को सकारात्मता से रोशन कर सकते हैं। हाँ, इस प्रक्रिया में थोड़ा त्याग करना होता है, थोड़ी ऊर्जा लगानी होती है और कुछ समय भी लगता है। ये भी सत्य है कि लोग आपके बारे में कुछ न कुछ नकारात्मक बातें भी करेंगे क्योंकि लोगों का काम है कहना। लेकिन यकीन मानिये की बिना किसी उम्मीद के आपके इस नेक काम के लिये, परमात्मा के तरफ से आपको इतना बड़ा मोल मिलेगा की आप अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। 
★ ( *2 : दूसरा*) - समाज के लोगों एवं समाज में घटनेवाली घटना से आप पूरी तरह से अनदेखा भी कर सकते हैं जैसे कि आपने इसे कभी नहीं देखा ही नहीं, आपने सुना ही नहीं। आप सोच सकते हैं कि मुफ्त में विचारों का प्रसाद बांटकर क्या हो जाएगा। इससे मुझको क्या लेना देना है। ये मेरा काम नहीं है, जिसका है वो समझे, वो करे। ये सब फालतू काम है। मेरे पास ऐसे आलतू फालतू काम के लिए समय नहीं है। अकेले मुझसे क्या हो सकता है। मुझे तो सिर्फ अपने से मतलब है, दुनिया से क्या लेना-देना है। मैंने दुनिया का ठीका उठा रखा है क्या? ये सब घिसी पीटी सकारात्मक विचारों को फैलाकर क्या होनेवाला है। मैं मुफ्त में सकारात्मक संवाद क्यों बाँटता रहूँ, इससे कोई पैसा तो मिलता नहीं है बल्कि अपना समय और ऊर्जा अलग से खर्च होता है। 
★ पसंद आपकी है की अपने समाज के लोगों की शारिरीक, मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए आप कौन सा विकल्प चुनते हैं। आपके पास दोनों विकल्प हैं। 

★ *ए. के. मिश्र (लाइफ कोच)* : *सकारात्मक विचारक, मोटिवेशनल प्रशिक्षक, स्वास्थ्य सलाहकार, प्राणिक हीलर, गायक, लेखक, गीतकार, सामाजिक कार्यकर्ता* 

जीवन में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है

      जी वन में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है। लेकिन सफलता भी कुछ मांगती है :  • अपने आप पर, ईश्वर पर और अपने काम पर पूर्ण विश्वास रखें।  • स...