*खुशखबरी* - आज से लगातार 21 दिन तक सिर्फ केसर पर चर्चा का हिस्सा आपको भी बनाऊंगा। मुझे पूरा यक़ीन है कि 21 दिन पूरा होते होते, आप मेरे द्वारा केसर का आनंद ले चुके होंगे। कुसी भी तरह की जानकारी के लिए मेरे मोबाइल नम्बर पर कॉल/व्हाट्सअप करें - 9415393600
आइये, आज समझते हैं कि केसर क्या है?
*केसर का रंग रूप आकार*
★ केसर का पौधा छोटे आकार का होता है। केसर का उपयोग विभिन्न औषधियों और खाद्य पदार्थों में किया जाता है। केसर दुनिया के महंगे मसालों में से एक है, इसी वजह से इसे 'रेड गोल्ड' (लाल सोना) के नाम से भी जाना जाता है। केसर का पौधा कई सालों तक जीवित रहता है। केशर के पत्ते-घास के समान लम्बे, पतले, पनालीदार और जड़ ही से निकले हुए मूलपत्र (Radical leaf) रहते हैं। इनके किनारे पीछे की तरफ मुड़े हुए हैं। केसर के फूल नीले, बैंगनी, लाल-नारंगी रंग के होते हैं। फूल के स्त्रीकेशर के सूखे हुए आगे वाले भाग (stigma) को केशर (saffron) कहते हैं। आश्विन कार्तिक यानी सितम्बर-अक्टूबर में इस पर फूल आते हैं। फूल-एकाकी या गुच्छों में, नीललोहित वर्ण के, पत्तों के साथ ही शरदऋतु में आते हैं। केशर में नीचे के पत्रकोश (Spathe), पुष्पध्वज (Scape) को घेरे रहते हैं तथा दो हिस्सों में विभक्त रहते हैं। केशर की जड़ प्याज की तरह होती है । केशर का बहुवर्षायु क्षुप 45 से.मी. तक ऊँचा होता है। जड़ के नीचे प्याज के समान गाँठदार कन्द (Corm) होता है। इसमें कांड नहीं होता है। केसर एक लोकप्रिय मसाला है, जिसे क्रोकस सैटाइवस नाम के फूल से निकाला जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम क्रोकस सैटाइवस है और इसका इस्तेमाल एक मसाले और कलर एजेंट के रूप में किया जाता है। यह दिखने में छोटे-छोटे धागों जैसा होता है।
*केसर की खेती*
★ अपने देश (भारत) के काश्मीर में पम्पूर तथा जम्मू के किश्तवाड़ में इसकी खेती की जाती है। यहाँ का उत्पन्न हुआ केसर भावप्रकाशकार की दृष्टि से सर्वोत्तम समझा गया है। केसर की सिर्फ 450 ग्राम मात्रा बनाने के लिए क़रीब 75 हज़ार फूल लगते हैं।
*केसर के विभिन्न प्रकार*
आयुर्वेद में केसर के तीन प्रकार बताए गए हैं। सभी के गुण भिन्न-भिन्न होते हैं।
★ *काश्मीरज केसर -* कश्मीरी केसर लाल रंग का होता है। यह केसर सूक्ष्म तन्तुओं से युक्त होता है। यह कमल जैसे गन्ध वाला होता है। केसर की तीनों श्रेणियों में यह उत्तम श्रेणी का माना जाता है।
★ *बाल्हीकज केसर* - यह बलख-बुखारा देश का केसर है। यह सूक्ष्म तन्तुयुक्त और पाले रंग का होता है। इसका गन्ध मधु जैसा होता है। यह केसर कश्मीरी केसर के कम गुणी वाला माना गया है।
★ *पारसीकज-पारस केसर* - यह ईरान देश का केसर है। यह स्थूल तन्तुयुक्त, हल्का पीले रंग का और मधु जैसे गन्ध वाला होता है। इस केसर को भी कश्मीरी केसर से कम गुणी वाला बताया गया है।
*केसर का वजूद*
★ द्रव्यगुण विज्ञान, भावप्रकाश तथा आयुर्वेदिक निघण्टु आदि पुराने ग्रन्थों में केशर के बारे में बहुत विस्तार से लिखा हुआ है। निघण्टु श्लोकनुसार - "कुङ्कुमम्-कुक्यते, आदीयते, 'कुक् आदाने"। अर्थात - केशर का इस्तेमाल शिरःशूल आदि में लाखों वर्षों से प्रयोग किया जा रहा है। केशर तेरे नाम - संस्कृत में कुमकुम। हिंदी मराठी, गुजराती में केशर। बंगाली में जाफरान। कन्नड़ में कुङ्कुम । तेलगु में कुङ्कुमपुव। तमिल में कुङ्कुमपु। फारसी में करकीमास। अंग्रेजी में Saffron (सफ्रॉन)। अरबी में जाफरान।
*केसर के तमाम फायदे*
★ केसर को सालों तक स्टोर कर सकते हैं, ये कभी खराब नहीं होती है। ये आपकी सेहत के लिए बहुत अच्छा है। केसर के फायदे महिलाओं से लेकर पुरुष व बच्चों से लेकर बुजुर्ग, सभी को मिलते हैं। केसर की गिनती दुनिया के सबसे महंगे मसालों में की जाती है। इसका आकर्षक रंग और खुशबू इसे सबसे अलग बनाने का काम करते हैं। इसका इस्तेमाल दूध या दूध से बने पकवानों में ज्यादा किया जाता है। आपको जानकर हैरान होगी कि केसर अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। केसर किसी भी बीमारी का इलाज नहीं है। इसका सेवन समस्या से बचाव व उसके लक्षणों को कम करने के लिए किया जा सकता है।
★ केसर का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में कई प्रकार से किया जाता रहा है। इससे जुड़े शोध के अनुसार, केसर में एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन कम करने वाला), एंटीअल्जाइमर, एंटीकॉनवल्सेन्ट (मिर्गी के दौरे को रोकने वाला) और एंटीऑक्सीडेंट (फ्री रेडिकल्स को दूर करने वाला) जैसे गुण पाए जाते हैं।
★ इसके अलावा, केसर का उपयोग बलगम निकालने, भूख बढ़ाने, मेंसुरेशन फ्लो को बढ़ाने, अच्छे हाजमे और मसूड़ों की समस्या को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। यह कई तरह के खास पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसमें फाइबर, मैंगनीज, विटामिन-सी, पोटेशियम, आयरन, प्रोटीन, और विटामिन-ए जैसे जरूरी तत्व शामिल हैं।
★ केसर में पाए जाने वाले गुण और पोषक तत्व इसे सेहत के लिए फायदेमंद बनाते हैं। केसर एक गुणकारी खाद्य पदार्थ है, जो शरीर को विभिन्न रूपों में फायदा पहुंचा सकता है। इसका इस्तेमाल आतंरिक स्वास्थ्य से लेकर त्वचा व बालों के लिए किया जा सकता है।
*केसर की तासीर & रसायन*
★ केसर खाने में कड़वा होता है, लेकिन खुशबू के कारण विभिन्न व्यंजनों एवं पकवानों में डाला जाता है। इसका उपयोग मक्खन आदि खाद्य द्रव्यों में वर्ण एवं स्वाद लाने के लिये किया जाता हैं। गर्म पानी में डालने पर यह गहरा पीला रंग देता है। यह रंग कैरेटिनॉयड वर्णक की वजह से होता है। यह घुलनशील होता है, साथ ही अत्यंत पीला भी। प्रमुख वर्णको में कैरोटिन, लाइकोपिन, जियाजैंथिन, क्रोसिन, पिकेक्रोसिन आदि पाए जाते हैं। इसमें ईस्टर कीटोन एवं वाष्पशील सुगंध तेल भी कुछ मात्रा में मिलते हैं।
★ अन्य रासायनिक यौगिकों में तारपीन एल्डिहाइड एवं तारपीन एल्कोहल भी पाए जाते हैं। इन रासायनिक एवं कार्बनिक यौगिकों की उपस्थिति केसर को अनमोल औषधि बनाती है। केसर की रासायनिक बनावट का विश्लेषण करने पर पता चला हैं कि इसमें तेल 1.37 प्रतिशत, आर्द्रता 12 प्रतिशत, पिक्रोसीन नामक तिक्त द्रव्य, शर्करा, मोम, प्रटीन, भस्म और तीन रंग द्रव्य पाएं जाते हैं। अनेक खाद्य पदार्थो में केसर का उपयोग रंजन पदार्थ के रूप में किया जाता है।
*आपका अपना : ए. के. मिश्र*
• लाइफ कोच, स्वास्थ्य सलाहकार, प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ, प्राणिक हीलर
• प्रोडक्ट ट्रेनर, मोटिवेशनल मेंटर (जेस्टिमा वेलनेस)